
भारत में जेन स्ट्रीट बैन
सेबी ने जेन स्ट्रीट ग्रुप पर लगाया ट्रेडिंग प्रतिबंध
भारतीय शेयर बाजार में बड़ी हलचल मचाते हुए, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने जेन स्ट्रीट ग्रुप और इससे जुड़ी इकाइयों को भारतीय शेयर बाजार में ट्रेडिंग से प्रतिबंधित कर दिया है। यह अंतरिम बैन देश के तेजी से बढ़ते डेरिवेटिव बाजार में कथित हेरफेर के आरोपों के चलते लगाया गया है।
3 जुलाई को जारी अंतरिम आदेश में सेबी ने जेन स्ट्रीट की चार कंपनियों—JSI इन्वेस्टमेंट्स, JSI2 इन्वेस्टमेंट्स प्रा. लि., जेन स्ट्रीट सिंगापुर प्रा. लि., और जेन स्ट्रीट एशिया ट्रेडिंग—को तत्काल प्रभाव से भारतीय शेयर बाजार में किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग से रोक दिया है, जब तक जांच पूरी नहीं होती।
कौन है जेन स्ट्रीट ग्रुप?

जेन स्ट्रीट ग्रुप, 2000 में स्थापित एक ग्लोबल प्रोप्रीटरी ट्रेडिंग फर्म है, जो वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में जानी जाती है। इसके दुनिया भर में पांच ऑफिस और 3000 से ज्यादा कर्मचारी हैं। कंपनी का फोकस डेरिवेटिव्स और क्वांटिटेटिव ट्रेडिंग पर रहा है, जिसमें यह उन्नत अल्गोरिदम और हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग का इस्तेमाल करती है।
भारत में डेरिवेटिव ट्रेडिंग पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ी है, और जेन स्ट्रीट जैसी विदेशी कंपनियां इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थीं।
क्यों लगाया सेबी ने जेन स्ट्रीट पर प्रतिबंध?
सेबी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी के डेरिवेटिव पोजीशन्स से बाजार में कीमतों को प्रभावित करने और हेरफेर के संकेत मिले, जिससे बाजार की पारदर्शिता और निवेशकों के हितों को नुकसान पहुंच सकता था। हालांकि सेबी ने अभी तक विस्तृत डिटेल सार्वजनिक नहीं की है, लेकिन बैन का उद्देश्य निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करना है।
भारतीय बाजार पर असर
जेन स्ट्रीट पर बैन लगने से भारत के डेरिवेटिव बाजार में अल्पकालिक अस्थिरता और कुछ सेगमेंट में लिक्विडिटी में कमी देखने को मिल सकती है। विश्लेषकों के मुताबिक, इस कदम के बाद डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रेड करने वाली कंपनियां और निवेशक ज्यादा सतर्क हो जाएंगे।
आगे क्या होगा?
आगे की कार्रवाई सेबी की जांच के नतीजों पर निर्भर करेगी। अगर जांच में हेरफेर के पुख्ता सबूत मिलते हैं, तो जेन स्ट्रीट ग्रुप पर जुर्माना, बैन की अवधि बढ़ाना या कानूनी कार्रवाई हो सकती है। लेकिन अगर जांच में आरोप साबित नहीं होते, तो प्रतिबंध हटाया भी जा सकता है।
विदेशी निवेशकों को सख्त संदेश
सेबी का यह कदम विदेशी संस्थागत निवेशकों और वैश्विक ट्रेडिंग फर्मों के लिए सख्त चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है कि भारत में बाजार की पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। साथ ही, तेजी से बढ़ते डेरिवेटिव बाजार में नियामकीय निगरानी को और मजबूत करने की जरूरत भी इस घटना से उजागर हुई है।
डिस्क्लेमर : इस लेख में दी गई जानकारी 3 जुलाई 2025 को सेबी द्वारा जारी अंतरिम आदेश और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध स्रोतों पर आधारित है। यह वित्तीय सलाह या किसी भी प्रतिभूति को खरीदने/बेचने की सिफारिश नहीं है। निवेश से पहले प्रमाणित वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।