
एंड्रॉयड इकोसिस्टम में बड़ा बदलाव
गूगल ने एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स पर साइडलोडिंग ऐप्स के लिए नया वेरिफिकेशन सिस्टम लागू करने की घोषणा की है। अब केवल वेरिफाइड डेवलपर्स के ऐप्स को ही प्रमाणित (certified) एंड्रॉयड डिवाइस पर साइडलोड किया जा सकेगा। यह बदलाव मार्च 2026 से लागू होगा।
गूगल का कहना है कि यह कदम मैलवेयर और स्कैम ऐप्स पर रोक लगाने और डेवलपर्स की जिम्मेदारी तय करने के लिए उठाया गया है। हालांकि, गूगल ने साफ किया है कि साइडलोडिंग और थर्ड-पार्टी ऐप स्टोर्स की सुविधा जारी रहेगी, लेकिन डेवलपर्स को अपनी पहचान साबित करनी होगी।
नया एंड्रॉयड डेवलपर कंसोल
प्ले स्टोर के बाहर ऐप्स वितरित करने वाले डेवलपर्स को अब गूगल के नए Android Developer Console में अपनी पहचान दर्ज करनी होगी। यह प्रक्रिया मौजूदा Play Console जैसी होगी, लेकिन ज्यादा सरल और साइडलोडिंग ऐप्स के लिए खास तौर पर बनाई गई है।
डेवलपर्स को यहां निजी या संगठनात्मक जानकारी जमा करनी होगी ताकि यूजर्स को पता चल सके कि ऐप के पीछे कौन है।
रोलआउट टाइमलाइन

गूगल ने इसके लिए एक समयरेखा भी तय की है:
- अक्टूबर 2025: डेवलपर वेरिफिकेशन के लिए शुरुआती साइन-अप शुरू होगा।
- मार्च 2026: सभी डेवलपर्स के लिए वेरिफिकेशन अनिवार्य हो जाएगा।
- सितंबर 2026: पहला प्रवर्तन (enforcement) ब्राज़ील, इंडोनेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड में शुरू होगा।
- 2027 से आगे: यह सिस्टम वैश्विक स्तर पर लागू किया जाएगा।
उपयोगकर्ताओं और डेवलपर्स पर प्रभाव
- यूजर्स के लिए: अब साइडलोडिंग और सुरक्षित होगी, मैलवेयर ऐप्स का खतरा कम होगा।
- डेवलपर्स के लिए: उन्हें अतिरिक्त वेरिफिकेशन प्रक्रिया से गुजरना होगा, लेकिन इससे उनके ऐप्स पर भरोसा बढ़ेगा।
- अनाम (anonymous) ऐप डिस्ट्रीब्यूशन का अंत हो जाएगा, जो एंड्रॉयड की ओपन कल्चर में बड़ा बदलाव है।
डिस्क्लेमर:- यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी गूगल की आधिकारिक घोषणाओं और समयरेखा पर आधारित है। इसे किसी भी प्रकार की कानूनी, तकनीकी या वित्तीय सलाह के रूप में न लें। डेवलपर्स को सुझाव दिया जाता है कि वे विस्तृत जानकारी के लिए गूगल के आधिकारिक दिशा-निर्देशों को देखें।