
RBI रेपो रेट अगस्त 2025
बहुप्रतीक्षित अगस्त 2025 की द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर बनाए रखा और मौद्रिक रुख को ‘तटस्थ (Neutral)’ बनाए रखा। यह फैसला अर्थशास्त्रियों और बाजार विशेषज्ञों की उम्मीदों के अनुरूप रहा, क्योंकि महंगाई और विकास दर को लेकर मिले-जुले संकेत मिल रहे थे।
खाद्य महंगाई बनी चिंता का कारण
RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने बताया कि हाल ही में महंगाई में आई गिरावट मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं विशेष रूप से सब्ज़ियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव की वजह से है। समिति ने चेतावनी दी कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है और इसका कारण मौसमी बदलाव हैं, न कि कोई स्थायी सुधार।
2026 तक के लिए CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) महंगाई के 4% के स्तर से ऊपर जाने का अनुमान जताया गया है, जिससे आने वाले समय में दरों में कटौती की गुंजाइश सीमित हो जाती है।
विकास दर का अनुमान 6.5% पर बरकरार

वैश्विक अनिश्चितताओं और निर्यात मांग में कमजोरी के बावजूद, RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी विकास दर का अनुमान 6.5% पर बनाए रखा है। रिज़र्व बैंक ने कहा कि मजबूत घरेलू मांग, निजी खपत, निवेश गति और सरकारी पूंजी व्यय भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।
गवर्नर मल्होत्रा ने यह भी कहा कि RBI वैश्विक आर्थिक हालात, आपूर्ति बाधाएं और मौसम से जुड़ी कृषि जोखिमों पर पैनी नजर रखेगा।
तटस्थ रुख से संकेत—नीति डेटा पर आधारित होगी
नीतिगत रुख को तटस्थ बनाए रखने का मतलब है कि RBI लचीले रवैये के साथ आगे बढ़ेगा और महंगाई या विकास में आने वाले उतार-चढ़ाव के अनुसार कदम उठाएगा। रिज़र्व बैंक ने कहा कि उसका लक्ष्य महंगाई की उम्मीदों को नियंत्रण में रखना और उत्पादक क्षेत्रों को पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराना रहेगा।
बाजारों में रही शांत प्रतिक्रिया
नीतिगत फैसले के बाद बॉन्ड और शेयर बाजारों में ज्यादा हलचल नहीं दिखी, जिससे साफ है कि यह फैसला पहले से ही बाजार में शामिल हो चुका था। बॉन्ड यील्ड स्थिर रही और स्टॉक मार्केट में भी ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं देखा गया।
अस्वीकरण: यह लेख भारतीय रिज़र्व बैंक की अगस्त 2025 की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में जारी आधिकारिक बयानों पर आधारित है। यह केवल सूचना के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे वित्तीय या निवेश सलाह के रूप में न लें।